हॉट स्प्रिंग्स में चीनी बलों की वापसी की प्रक्रिया पूरी, अन्य क्षेत्रों में पीछे हटना जारी: सूत्र

चीनी सैन्य बलों ने पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में टकराव वाले क्षेत्र से बुधवार को अपने सभी अस्थायी ढांचों को हटा दिया और अपने बलों की वापसी की प्रक्रिया लगभग पूरी कर दी। इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी। यह कदम टकराव वाले बिंदुओं से बलों की तेजी से वापसी के संबंध में लिए गए दोनों देशों के फैसले के अनुरूप उठाया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफोन पर करीब दो घंटे हुई बातचीत के बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सोमवार को सुबह शुरू हुई।

वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैन्यबलों की तेजी से वापसी पर सहमति जताई, ताकि क्षेत्र में शांति कायम की जा सके। डोभाल और वांग सीमा संबंधी वार्ताओं के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। वार्ता के बाद गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई। मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘चीनी बलों की वापसी की प्रक्रिया हॉट स्प्रिंग्स के गश्त बिंदु 15 में पूरी हो गई है।”

उन्होंने बताया कि भारतीय सेना बलों की वापसी की प्रक्रिया के वास्तविक क्रियान्वयन की जांच के लिए आगामी कुछ दिनों में विस्तृत सत्यापन करेगी। ऐसा समझा जा रहा है कि गोग्रा (गश्त बिंदु 17ए) में दोनों देशों के बलों की वापसी की प्रक्रिया बृहस्पतिवार तक पूरी हो जाएगी। गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स टकराव वाले ऐसे बिंदु है, जहां पिछले आठ सप्ताह से दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।

सूत्रों ने बताया कि बलों की वापसी की प्रक्रिया का पहला चरण पूरा हो जाने के बाद इस सप्ताह के आखिर में दोनों सेनाएं वार्ता कर सकती हैं। कोर कमांडर स्तर की 30 जून को हुई वार्ता में लिए गए फैसले के अनुसार, दोनों पक्ष गतिरोध वाले अधिकतर इलाकों में तीन किलोमीटर का न्यूनतम बफर क्षेत्र बनाएंगे।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीनी बलों ने गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 से अपने शिविर पहले ही हटा लिए हैं और अपने बलों को वापस बुला लिया है। इसी घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीनी बल के जवान भी हताहत हुए थे, लेकिन उसने इस बारे में जानकारी नहीं दी है।

एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के 35 जवान हताहत हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से भी बलों की संख्या कम की जा रही है। भारत और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले आठ सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। स्थिति तब और बिगड़ गई थी, जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। हालांकि रविवार की शाम तक गतिरोध के अंत का कोई संकेत नहीं था।

सूत्रों ने बताया कि डोभाल-वांग की बैठक में सफलता मिली। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘प्राथमिकता” के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच 22 जून को भी बैठक हुई थी जिसमें सभी टकराव बिन्दुओं से पीछे हटने पर पारस्परिक सहमति बनी थी। हालांकि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई। इस घटना के बाद दोनों देशों ने एलएसी से लगते अधिकतर क्षेत्रों में अपनी-अपनी सेनाओं की तैनाती और मजबूत कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का अचानक दौरा किया था। वहां उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि विस्तारवाद के दिन अब लद गए हैं। उन्होंने कहा था कि इतिहास गवाह है कि ‘‘विस्तारवादी” ताकतें मिट गई हैं।

प्रकाशित तारीख : 2020-07-08 20:23:54

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