मुझे मौत बुलाने आई थी !

आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।
आदर और सत्कार सहित मुझे ले जाने आई थी।।
आकर कहन लगी मुझको,
करो तैयारी चलने की।
अटल समय मृत्यु का होता,
घड़ी नही ये टलने की।।
कुछ पल बाकि बचे तुम्हारे तुमे जताने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।


हाथ जोड़कर हुआ खड़ा,
मैं मृत्यु मईया माफ करो।
यहां बहुत अन्याय हुआ है,
तुम तो अब इंसाफ करो।।
क्या तुम भी हे! मृत्यु मुझको और सताने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।


विनती करन लगा मैं उनसे,
थोडा समय दो और मुझे।
परोपकार करना बाकि है,
देखना शेष है दौर मुझे।।
मैने सोचा टल गई मृत्यु बस मुझै डराने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।

 

ऐसा सोचना गलत था मेरा,
मृत्यु अटल दिखाई दी।
नेत्र लाल क्रोधित उसके,
कड़क आवाज सुनाई दी।।
हो गई आग बबुला मुझपर सच बतलाने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।

 

कहने लगी क्या मुझको भी तुनै,
जनता समझ रखा रे।
हो मृत्यु नही किसी की शत्रु,
किसी की नही सखा रे।।
टलता नही आदेश मेरा कभी तुझै समझाने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।

 

चल दे भी देउं तुझे एक मौका,
क्या करेगा दे जवाब मुझे।
कौनसा तीर मार दिया देदे,
चोंतीस वर्ष का हिसाब मुझे।।
वा आयु चोंतीस साल मेरी का हिसाब चुकाने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।

 

स्वार्थ की चढ़ा भेंट दिया तुनै,
अमोल जीवन महान तेरा।
अपने आप गवा दिया तुमने,
शुभ अवसर इंसान तेरा।।
"विश्वबंधु" याद विश्व रखे ऐसा बनाने आई थी।
आज रात स्वपन में मुझको मौत बुलाने आई थी।।

प्रकाशित तारीख : 2020-07-12 09:39:16

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