विद्यार्थी

बिशाल  केसी

इस वक़्त तुम जहाँ
बैठकर अपने दोस्तों के संग
किताब के पन्ने उलट रहे हो
ओर भविष्य में सफल होने का मंत्र पढ़़ रहे हो
अभिनन्दन एंव हर्ष के साथ
किया तुम यें जानते हो
इस में किस-किसने अपनी प्राण निछावर किया है ?

जिस वर्तमान में तुम
भविष्य में सफलता के शिखर पर जाने की तैयारी
कर रहे हो
क्या तुम्हें पता है 
तुम्हे सफल और सफलता तक पहुंचाने में
किस का योगदान है ?

मेरे प्यारे स्वतन्त्र भारत के विद्यार्थी
आज जब तुम स्वतन्त्र श्वास लेते हो
उन स्वतन्त्र श्वास में
फिर तुम और तुम्हारे जैसे हज़ारों विद्यार्थी
हाथों पर मशाल की चिनगारी लिये फिरते हो
क्या तुम्हे यें मालुम है
तम्हारी चिनगारी ना बुझे
इसलिए किसी ने अपना घर का चिराग़
सरहद पर हर रोज बुझा दिया करते है

तुम्हें मुफ़्त में मिली स्वतन्त्रता से
तुम उन्ही सैनिको पर हजार प्रश्न पुच्छते हो
ओर जो तुम्हें 
हर रोज एक सपना देखने की आज़ादी
खुद तिरंगा में लिपट कर देते है

प्यारे विद्यार्थी
तुम आज भी स्वतन्त्र  हो
ओर कल भी स्वतन्त्र ही रहोंगे
पर 
तुमने कभी सोचा है
जिस स्वतन्त्रता में तुम आज बड़ी बेमिसाल
अंदाज में जिरहे हो
उस स्वतन्त्रता को कायम रखने के लिए
किस-किस ने अपनी रक्त को
पानी की तरह खोल दिया है
क्या तुम्हे पता हैं ?

जब तुम चाँदनी रातो में
आकाश की ओर देखकर
हजारो तारों के बीच खुद को 
सितारों के मध्य सजाके प्रफुल्लित होते हो
क्या कभी तुम्ने यह सोचा है
तुम और तुम्हारे उन सपनो को 
जो तुम अपने नयनों से देखा पाते हो
उनकी सादगी में
किसी ने अपनी नयनों को सदाके लिए
बंद कर दिया है ?
जिस रंग में
जिन त्योहारो में
तुम अपनो से मिलकर अपनी खुशी बाँटते हो
शायद ही तुम्हे पता हो
उस खुशी के लिए
हजारो घरों ने अपनी दीपक बुझा दिया है
ताकी तुम्हे हमेशा खुशी मिलती रहे
और फिर भी तुम
हमसे सबूत मांगते हो
हमारी वफ़ादारी का
मेरे प्यारे विद्यार्थी

मेरे प्यारे विद्यार्थी
क्या तुम्हे यह मालुम है
तुम्हारी कल को बेहतर बनाने के लिए
किसी अपने ने आज को मिटा दिय है इस वक्त में
और
जहाँ बैठकर
इस समय तुम अपने दोस्तो के संग
लेलीन के कथनको अनुसरण करके
जिस आज़ादी के नारे लगारहे हो
ओर हम फिर भी
अपने आहुति देकर तुम्हारी
षड्यन्त्र को पिरोने की आजादी दें रहें है
आजादी दे रहें है
मेरे प्यारे विद्यार्थी ।

प्रकाशित तारीख : 2020-02-07 07:20:33

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