तालाब, नदी और मैं 

चुस्की लेते है हम
मदहोश होने के लिए नहीं
सिर्फ होश सम्भालने के लिए 
तभी तो तालाब की तरफ़ देखतें ही नहीं
नदियों में तैरने वाले हम
कहाँ तालाब में झागते रहेंगे
डूबकी लगाने को तो
सवाल ही पैदा नहीं होता है
तैरने की मजा जो है
वह तो लहराते हुए नदियों में होता है
उछलती बेग , बहती प्रवाह
लहराती लहर, घूमती वदन
तैरने के लिए उसके साथ का संघर्ष
गला देतीं है पनियां
पसीना निकलता है
उस में जो मजा है
तालाब मे कहा? 
लोहे चबाने वाला
सजाए हुए नरम केक का स्वाद नहीं लेते
जब मजा लेना ही है तो
तालाब में क्या मजा लेना है
पहाडों से उभरती नदी में कूदो 
और खरा निकाल आओ
किनारा क्या देखना है
समुंदर तक चलते रहो !

प्रकाशित तारीख : 2020-09-27 18:05:37

प्रतिकृया दिनुहोस्