पाकिस्तान के लिए वर्ल्ड कप जीतने वाले इमरान खान देश के आर्थिक और राजनीतिक मंच पर बुरी तरह से विफल साबित हुए हैं। आलम ये है कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से पाकिस्तान को सबसे बुरे दिन देखने को मिले हैं। देश की विपक्षी पार्टियां लगातार उन्हें हर मोर्चे पर विफल साबित कर रही हैं।
सेना के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं। अब तो यहां तक आवाजें आ रही हैं कि सेना कहीं न कहीं इमरान के समकक्ष किसी दूसरे चेहरे को राजनीतिक मंच पर लाने की कोशिश कर रही है। कुछ दिन पहले क्रिकेटर शाहिद अफरीदी का गुलाम कश्मीर में दिया गया भाषण इसकी ही एक कड़ी माना जा रहा है।
गौरतलब है कि इमरान खान ने पाकिस्तान की कमान अगस्त 2018 में संभाली थी। उससे पहले ही नवाज शरीफ को देश की सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य घोषित किया था। उस समय कहा जा रहा था कि सेना नवाज से नाखुश थी इसलिए इमरान के कंघों पर चढ़कर सत्ता पर काबिज होना चाहती थी।
ये इसलिए भी एक सच्चाई है क्योंकि पाकिस्तान में सेना किसी भी सरकार को बनाने और गिराने में सबसे अहम जिम्मेदारी निभाती आई है। इमरान खान जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने एक नया पाकिस्तान बनाने का जो वादा किया था आज वह जमीनी हकीकत से कोसों दूर है।