अब लिखो गीत गम्भीर कोई

प्यार-महोब्बत बहुत लिखे,अब लिखो गीत गम्भीर कोई।
जिसमें दर्द गरीब का बोले,जिसे सुनता हो अमीर कोई।।

दरिद्रता दिखलाई देती,
निर्धनता खुद चीखती हो।
मुफलिशी मौत मांगती हो,
गरीबी साफ दिखती हो।।
खाली पेट कहराते हो और,अर्धनग्न तन रोते हो।
बेसहारा बेघर बहुत-से,फूटपाध पर सोते हो।।
खाली पेट कोई ना सोवे,रहे ना नग्न शरीर कोई।
                                       प्यार-मौहब्बत...

मजबूरी मजदुरों की लिख,
शोषण शदीयों से सहते है।
पहचानकर पीड़ा पिरोह दिये,
किसान के आंसु जो कहते है।।
दर्द बयां करदे सबका आज,कष्ट ना कोई बचना चाहिये।
दर्रभरी रचना पढ़करके,सारे- के शोर मचना चाहिये।।
जाकर चुबे जो सबके दिल मे,ऐसी गड़ तस्वीर कोई।                       
                                     प्यार-महौब्बत...

अमीर करेंगे मदद गरीब की,
उम्मीद की किरण दिखााई दे।
लेखनी हो मजबूर रोने पर,
कवि का रुधण सुनाई दे।।
नैनों से जल बहता दिखे,आंसु भी खुद रोता हो।
पाठकगण रचना पढ़करके,खुदको खुदमे टोता हो।।
"विश्वबंधु"अकेला न समझे,बंधाता हो यहाँ धीर कोई।
                                     प्यार-महोब्बत...

प्रकाशित तारीख : 2020-05-23 21:58:56

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