भारत-नेपाल के संबंधों में खटास, 200 साल पुराना है लिपुलेख-कालापानी विवाद

हाल ही में नेपाल ने अपने नए राजनीतिक मानचित्र पर लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताकर विवाद खड़ा कर दिया है। भारत ने नेपाल के इस फैसले पर नाखुशी जताकर नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को सिरे से खारिज कर दिया है। 

भारत ने कहा कि कोरोना संकट के बाद दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की बातचीत हो सकती है। दरअसल जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 80 किलोमीटर के धारचूला-लिपुलेख मार्ग का लोकार्पण किया तब नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताया। 
धारचूला-लिपुलेख वाला मार्ग कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अच्छा होगा और इससे उनका समय भी बचेगा। पहले तीर्थयात्रियों को ये यात्रा पूरी करने में दो से तीन हफ्ते लग जाते थे लेकिन अब मात्र एक हफ्ते में यात्रा पूरी की जा सकेगी।

यह नया मार्ग पिथौरागढ़-तवाघाट-घटीअबागढ़ मार्ग का विस्तार है। नेपाल सरकार ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी और अपना क्षेत्र बताया है जिससे विवाद खड़ा हो गया है। आइए समझते हैं कि नेपाल के लिए ये इलाके इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं...

प्रकाशित तारीख : 2020-05-26 18:35:29

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