चौथी क्रांति का तिलिस्‍म, 5G का जाल, चीन का चकनाचूर सपना

 

आदित्य लक्ष्मण जक्की

एक ऐसे युग में जिसे चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए जाना जाएगा, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की बड़ी भूमिका की उम्मीद की जा रही है, वहां 5G टेक्नोलॉजी से ज्यादा फायदा लेना ये तय कर सकता है कि आगामी महाशक्ति बनने की लड़ाई में कौन जीतेगा. हालांकि, मौजूदा दौर में कोरोना वायरस महामारी के दौरान भू-राजनीतिक घटनाक्रम होने से चीन की भारी भरकम ग्लोबल 5G स्ट्रैटजी या तो कमजोर पड़ सकती है या फिर टल सकती है, जो कि बीजिंग के डिजिटल सिल्क रोड प्लान के लिए भी काफी अहम है.

कोरोना वायरस के आने से पहले चीन की योजनाओं के खिलाफ अमेरिका की अगुवाई में खड़ा होने वाला देशों का छोटा समूह अब और देशों के शामिल होने से बड़ा हो सकता है क्योंकि मौजूदा महामारी के दौरान जवाबदेही, जिम्मेदारी और प्रोपगेंडा पर चीन के व्यवहार से इन देशों का बीजिंग पर विश्वास उठ गया है. 

भू-राजनीतिक लड़ाई
आधुनिक इतिहास में तकनीकी वर्चस्व हासिल करना भू-राजनीतिक लड़ाई का प्रमुख हिस्सा रहा है, और यही बात अमेरिका-चीन के बीच जारी मुकाबले के लिए भी है. इस बात की अहमयित समझते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने पिछले कुछ वर्षों से चीन के प्रमुख 5G प्लेयर हुआवेई (Huawei) और दूसरे प्लेयर ZTE के खिलाफ ग्लोबल कैंपेन छेड़ दिया है. उन्होंने आरोप लगाए हैं कि चीन ने 5G टेक्नोलॉजी से जुड़ी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी की है और साथ ही ट्रंप ने इसके जरिए जासूसी से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने का मुद्दा भी उठाया.

प्रकाशित तारीख : 2020-05-31 11:34:53

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