स्वामी करपात्री जी महाराज की सनातन धर्म सेवा

आधुनिक काल के हिंदू धर्म चिंतकों में करपात्री जी का नाम सारे देश में आदर और श्रद्धा से लिया जाता है . आज के ही दिन श्रावण शुक्ल पक्ष द्वितीया को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के भटनी गाँव में उनका जन्म हुआ था . वे युवावस्था में संन्यासी हो गये और घर बार छोड़कर शास्त्रों का पारायण किया और 1940 में अखिल भारतीय धर्म संघ की स्थापना की .

वे धर्मविषयक विचारों में शंकराचार्य के द्वारा प्रतिपादित अद्वैतवाद में आस्था रखते थे . स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1948 में उन्होंने अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् नामक राजनीतिक दल का भी गठन किया . करपात्री जी के ह्रदय में राष्ट्र के प्राचीन आदर्शों से प्रेम था और आधुनिक विचारों का भी उनसे समन्वय था . काशी में रहकर वे धर्म साधना में प्रवृत्त रहे . वे एक महान चिंतक और लेखक थे .

मार्क्सवाद और रामराज्य उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है . वे भारत की ग्रामीण जीवन संस्कृति में गाय के महत्व पर जोर देते थे और 1966 में संसद भवन के बाहर गोवध निषेध को लेकर उनके नेतृत्व में साधु संतों का विशाल प्रदर्शन हुआ था जिस पर तत्कालीन सरकार के द्वारा गोलियाँ चलवायी गयी थीं और काफी लोग इसमें मारे गये थे .

करपात्री जी आजीवन धर्म प्रचार के लिए सारे देश की यात्रा करते रहे .अपनी धर्मसभाओं में वे जयघोष करते थे ... सनातन धर्म की जय हो । प्राणियों में सद्भाव हो । अधर्म का नाश हो । करपात्री जी की जीवन कामना को साकार करना सनातन धर्म के सभी अनुयायियों का पावन कर्तव्य है .

( राजीव कुमार झा स्वतंत्र लेखक और पत्रकार हैं )

प्रकाशित तारीख : 2020-07-23 12:53:25

प्रतिकृया दिनुहोस्