प्रचंड बोले, पीएम ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को तोड़ने पर आमादा

नेपाल में सत्ता के बंटवारे को लेकर मचे घमासान के बीच सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली पार्टी को दोफाड़ करने पर आमादा हैं। ओली और प्रचंड गुट के बीच मतभेदों को दूर करने में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की बहुप्रतीक्षित स्थायी समिति की बैठक के विफल रहने के कुछ दिनों बाद प्रचंड का यह बयान सामने आया है।

ओली के इशारे पर नए दल का पंजीकरण

प्रचंड ने यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ एनसीपी के दूसरे अध्यक्ष और प्रधानमंत्री ओली के इशारे पर कुछ लोगों ने चुनाव आयोग (ईसी) में सीपीएन-यूएमएल नाम से एक नए दल का पंजीकरण कराया है। माई रिपब्लका अखबार ने इस आशय की खबर प्रकाशित की है। बता दें‍ कि एक जुलाई को सीपीएन-यूएमएल नामक पार्टी के पंजीकरण के लिए चुनाव आयोग में एक आवेदन किया गया था।

ओली के अड़‍ियल रवैये से बढ़ा संकट

मालूम हो कि पूर्व पीएम प्रचंड सत्ता में हिस्सेदारी के ओली से नया समझौता करना चाहते थे लेकिन ओली ने अपने अड़‍ियल रवैये से पार्टी को ही संकट में डाल दिया। प्रचंड ने कहा कि स्थायी समिति की बैठक चलने के दौरान ही हमारी पार्टी के दूसरे अध्यक्ष के इशारे पर सीपीएन-यूएमएल पार्टी के चुनाव आयोग में पंजीकरण से हमारी पार्टी के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि पीएम ओली, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी को दोफाड़ करने पर आमादा हैं।

लोली पर लामबंदी के आरोप

प्रचंड ने ओली पर देश भर में खुद के पक्ष में प्रदर्शन करने के लिए छात्रों और पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हम पार्टी के भीतर विचार-विमर्श करते रहे लेकिन दूसरी तरफ देश भर में प्रदर्शन होते रहे। उल्लेखीय है सरकार पर कोरोना से निपटने में विफल होने के आरोप लग रहे हैं। लोगों में सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी है।

भारत विरोधी टिप्पणी को बताया गलत

जब से नेपाल ने भारत के तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल में दिखाते हुए नए नक्शे को मान्यता दिलाई है, ओली की पार्टी के लोग ही उनका विरोध कर रहे हैं। प्रचंड समेत एनसीपी के कई शीर्ष नेता ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कह रहे हैं कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी न तो राजनीतिक रूप से सही है और न ही राजनयिक रूप से उचित। वे ओली की निरंकुश कार्यशैली से भी नाराज हैं।

आठ बैठकें लेकिन नहीं निकला रास्ता

ओली ने आरोप लगाया था कि कुछ लोग पड़ोसी देश के इशारे पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं। इस बयान से उनके और प्रचंड के मतभेद और बढ़ गए हैं। मतभेदों को सुलझाने के लिए ओली और प्रचंड के बीच हाल के कुछ हफ्तों में कम से कम आठ बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। प्रधानमंत्री द्वारा एक व्यक्ति-एक पद की शर्त मानने से इनकार करने से वार्ता विफल रही। ओली ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ एनसीपी के सह-अध्यक्ष के रूप में अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया है।

 

प्रकाशित तारीख : 2020-07-25 09:59:17

प्रतिकृया दिनुहोस्