राम ‘काज’ में कब तक रोड़े अटकाएंगे राहुल गांधी?

अभिषेक मेहरोत्रा

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा

रामचरितमानस की ये पंक्ति एक बार फिर सही साबित हुई. तमाम विवादों के बाद अब जब अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन की तिथि तय हुई तो एक जमाने में कांग्रेस के युवराज और अब सिर्फ वायनाड के सांसद राहुल गांधी की गोद में बैठने वाले साकेत गोखले एक नई अड़चन डालने में जुट गए, पर कोर्ट ने जिस तरह उनकी याचिका को खारिज करते हुए उसके आधार को काल्पनिक बताया है, उससे आज रामभक्तों में हर्ष की लहर दौड़ गई है. वे इसे प्रभु राम के प्रताप की एक छोटी सी बानगी ही मान रहे हैं और साथ ही यह सवाल भी कर रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी कब तक राम 'काज' में रोड़े अटकाते रहेंगे?

अब जब प्रभु श्रीराम की बात हो रही है तो दुष्ट शक्तियों का जिक्र भी जरूरी है, ऐसी दुष्ट शक्तियां हर युग में होती हैं. जिन लोगों में सामने से वार करने की हिम्मत नहीं होती, वो मोहरे तलाशते हैं और उनके सहारे अपने स्वार्थ की पूर्ति का प्रयास करते हैं. जैसा कि कांग्रेस के तथाकथित युवा नेता राहुल गांधी ने राम मंदिर के भूमि पूजन में अड़ंगा डालने को लेकर किया. राहुल के इशारे पर राम मंदिर के भूमि पूजन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. राहुल चाहें तो इस आरोप से मुकर सकते हैं, ये उनकी आदत में शुमार है, लेकिन तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं. गोखले के साथ उनकी करीबियत को किसी सबूत की जरूरत ही नहीं है. 

प्रकाशित तारीख : 2020-07-27 12:22:36

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