चीन की घुसपैठ को लेकर राहुल की चुनौती

- नवभारत विशेष

चीन की घुसपैठ को लेकर वास्तविक स्थिति क्या है? क्या मोदी सरकार कुछ छुपा रही है या हकीकत को  स्वीकार करना नहीं चाहती? क्या इसके पीछे पीएम का अहं या बीजेपी सरकार की हठधर्मिता है? कांग्रेस नेता राहुल ने चुनौतीपूर्ण स्वरों में कहा कि मैं चीन की घुसपैठ पर झूठ बोलने वाला नहीं हूं, चाहे मेरा राजनीतिक जीवन पूरी तरह खत्म क्यों न हो जाए! एक भारतीय होने के नाते मेरी पहली प्राथमिकता देश और इसकी जनता है. यह एकदम साफ है कि चीनी हमारे इलाके में घुस आए हैं. यह बात मुझे परेशान करती है और मेरा खून खौलने लगता है. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि मैंने सैटेलाइट की तस्वीरें देखी हैं और पूर्व सेनाधिकारियों से बात की है. अगर आप चाहें कि मैं झूठ बोलूं कि चीनी इस देश में नहीं घुसे हैं तो मैं ऐसा झूठ बोलने वाला नहीं हूं. जो लोग झूठ बोल रहे हैं कि चीनी भारत में नहीं घुसे हैं, वे देशभक्त नहीं हैं. राहुल गांधी की इस चुनौती का सरकार के पास क्या जवाब है? यह मामूली बात नहीं है कि इस मुद्दे पर राहुल छाती ठोंक कर अपना राजनीतिक करिअर दांव पर लगा रहे हैं. उनके दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता. राहुल गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उनके कथन की गंभीरता समझी जानी चाहिए और किसी भी कीमत पर उसे नजरअंदाज करने की भूल न की जाए. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सर्वोपरि है जिसमें पक्ष और विपक्ष में सहमति के साथ ही परस्पर विश्वास भी आवश्यक है. सरकार वास्तविकता को सामने लाए. जनता को सच जानने का हक है. नेता अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा व अहं की आड़ में सच पर पर्दा डालने की कोशिश न करें. कई दौर की बातचीत के बाद चीन ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति जताई थी परंतु अब भी चीनी फौज कुछ इलाकों से पीछे नहीं हटी और गतिरोध बरकरार है.

अक्साई चिन में चीनी सेना का जमावड़ा

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर स्थिति वाकई गंभीर बनी हुई है. भारतीय सैटेलाइट ने अरुणाचल प्रदेश के पास चीनी सेना को देखा है. चीन पहले भी कुटिलता पूर्वक अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताते हुए उस पर दावा करता आया है. एक बार उसने यह भी कहा था कि अरुणाचलवासियों को चीन आने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं है क्योंकि वे चीन का हिस्सा हैं. 1962 में नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) में चीन ने हमला किया था. यह वही इलाका है जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उसकी फौजें आ गई हैं. इसके अलावा अक्साई चिन में भी चीनी सेना का जमावड़ा है. भारत ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए काराकोरम के निकट टी-90 टैंकों को तैनात कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या युद्ध निकट है? क्या पाकिस्तान भी मौका देखकर मोर्चा खोलेगा? अमेरिका व अन्य मित्र देशों का रुख क्या है? रूस की भूमिका क्या होगी? लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच भारत ने बड़ी कार्रवाई करते हुए और भी 47 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. 

प्रकाशित तारीख : 2020-07-28 10:49:39

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