नागरिकों को मिली लिबर्टी बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्रिमिनल केस में निष्पक्ष जांच जरूरी है, लेकिन अदालतों को सुनिश्चित करना होगा कि किसी नागरिक को प्रताड़ित करने के लिए क्रिमिनल लॉ का इस्तेमाल हथियार के तौर पर न हो। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि मानवीय लिबर्टी बहुमूल्य संंवैधानिक अधिकार है। हाई कोर्ट को असीम अधिकार मिले हुए हैं, ताकि लोगों के संवैधानिक मूल्य और स्वच्छंदता (लिबर्टी) संरक्षित रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत मानवीय लिबर्टी महत्वपूर्ण और बहुमूल्य अधिकार है। इसमें संदेह नहीं है कि ये कानून के दायरे में है। सीआरपीसी की धारा-482 के तहत हाई कोर्ट को पावर है कि वह किसी भी कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोके, ताकि न्याय पूर्ण हो सके। हाई कोर्ट को अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जो मंशा जाहिर की है उसके अनुरूप हाई कोर्ट को काम करना चाहिए। हाई कोर्ट को अधिकार है कि वह कानून के गलत इस्तेमाल को रोके। उसे लिबर्टी को संरक्षित रखने के लिए पूर्ण न्याय करना होगा। आजादी के बाद संसद ने हाई कोर्ट के असीम अधिकार को मान्यता दे रखी है, ताकि लोगों के संवैधानिक मूल्य और लिबर्टी संरक्षित रहे।

कोर्ट की प्राथमिक जिम्मेदारी की लिबर्टी संरक्षित रहे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी अदालतों को ये सुनिश्चित करना होगा कि जिन्हें भी लिबर्टी से वंचित किया जाता है उनका पहली पंक्ति का डिफेंस अदालत है। लिबर्टी से एक दिन भी वंचित करना एक दिन होता है। हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि सभी नागरिकों के लिबर्टी संरक्षित रहें।

 

प्रकाशित तारीख : 2020-11-29 08:25:00

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