किसानों ने सरकार का प्रस्ताव किया खारिज

28 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन किसान दिवस पर भी खाली हाथ रहे। दिन में सरकार की तरफ से सुलह की उम्मीदें तब जगीं, जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसान हमारे प्रस्ताव में जो भी बदलाव चाहते हैं, वो बता दें। हम उनकी सुविधा और समय के मुताबिक बातचीत के लिए तैयार हैं।’ लेकिन किसानों ने कह दिया कि सरकार का मजबूत प्रपोजल क्या हो, यह हम कैसे बताएंगे। अगर वे पुरानी बातों को ही बार-बार दोहराएं तो बात नहीं बनेगी। सरकार ने किसानों को 10 पॉइंट का प्रस्ताव भेजा था, जिसे किसान ठुकरा चुके हैं। बुधवार को कृषि मंत्री ने नए सिरे से पेशकश रखी तो दो घंटे बाद किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें किसान संगठनों ने कहा, 'यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि हम बातचीत नहीं कर रहे हैं। किसान हमेशा बातचीत को राजी हैं, जब भी बुलाया गया हम गए और आगे भी जाएंगे।

कृषि कानूनों पर बंटे किसान

जहां एक तरफ कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन पिछले 28 दिनों से आंदोलन पर बैठे हैं, वहीं किसानों का एक धड़ा कृषि कानूनों के पक्ष में उतर आया है। देश के करीब 20 राज्यों के किसानों ने कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए अपने हस्ताक्षर वाला पत्र कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को सौंपा। इस दौरान तोमर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में छह साल में काफी सुधार किए गए हैं। देश में दो परिस्थितियां हैं। किसानों का अधिकांश भाग इन कानूनों का समर्थन कर रहा है। आज सभी किसान चिंतकों की टोली आयी थी। देशभर में कानून पास होने के बाद तीन लाख से ज्यादा किसानों के हस्ताक्षर मिले हैं।

प्रकाशित तारीख : 2020-12-24 08:14:00

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