प्रकृति के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र की 'शांति योजना'

DW

नई दिल्‍ली

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की नई रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है, "प्रकृति के खिलाफ हमारे युद्ध ने धरती को छिन्न-भिन्न कर दिया है." इस रिपोर्ट में जलवायु संकट, जैव विविधता के ह्रास और प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए एकीकृत कार्रवाई का कार्यक्रम दिया गया है.

जैसे जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है, जैव विविधता को होने वाली हानि तेजी से बढ़ रही है और नई-नई महामारियां फैल रही हैं, इन सभी समस्याओं का अलग-अलग हल ढूंढ़ने की कोशिश अपर्याप्त साबित हुई हैं. इसके जवाब में 'मेकिंग पीस विद नेचर' नाम की यह रिपोर्ट वैश्विक आपात स्थितियों के तत्काल हल के लिए एक ब्लूप्रिंट है. इसमें विश्व के विभिन्न पर्यावरणीय आकलनों के जरिए समस्याओं का हल निकालने की बात कही गई है.

टुकड़ों में कार्रवाई से नहीं हासिल होंगे लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) के यूएन के 2030 सतत विकास लक्ष्यों के ढांचे के तहत आपस में जुड़े पर्यावरण संकटों से निपटना चाहता है और साल 2050 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल करना चाहता है. यूनेप की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने डॉयचे वेले को बताया कि जलवायु संकट, जैव विविधता में ह्रास और प्रदूषण पर टुकड़ों में कार्रवाई करके "हम अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते." बिना किसी समन्वय के हो रहे प्रयासों की वजह से साल 2100 तक धरती का तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के मुकाबले कम से कम 3 डिग्री तक बढ़ जाएगा. हालांकि, कोरोना महामारी के कारण उत्सर्जन में आंशिक कमी आई थी.

यह पेरिस पर्यावरण समझौते के तहत तय किए गए लक्ष्य 1.5 डिग्री का दोगुना है. तय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साल 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को 45 फीसद तक कम करना होगा. द लांसेट में 2018 में छपे एक लेख के अनुसार अनुमानित 80 लाख में से 10 लाख से भी ज्यादा प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है. यही नहीं हर साल करीब 90 लाख लोगों की प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण मृत्यु हो जाती है. इस ट्रेंड को उल्टा करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे प्राकृतिक आवासों का संरक्षण कर, अत्यधिक फसल और शिकार को रोक कर और प्रदूषण कम करके जैव विविधता को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और जंगली जानवरों को जलवायु परिवर्तन को सहने लायक बनाया जा सकता है.

प्रकाशित तारीख : 2021-02-21 20:25:00

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