संजय कुमार की नियुक्ति पर ऐतराज

आगामी 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे राज्य के मुख्य सचिव संजय कुमार को राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाने की तैयारी है। भाजपा ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी अवैध नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा करने की कोशिश हुई तो सरकार को अदालत में चुनौती दी जाएगी।  

साक्षात्कार का नाटक

भाजपा प्रदेश मीडिया विभाग प्रमुख और ऊर्जा विभाग के पूर्व संचालक विश्वास पाठक ने आरोप लगाया है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष के रूप में वर्तमान मुख्य सचिव संजय कुमार को नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार ने जल्दबाजी में साक्षात्कार लेने का नाटक किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार ने इस संदिग्ध नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा करने की कोशिश की तो उसे अदालत जाना होगा।  

नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं

पाठक ने एक प्रेस बयान में कहा कि राज्य में दो करोड़ 40 लाख बिजली ग्राहकों को सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करने के उद्देश्य से विद्युत नियामक आयोग का गठन किया गया है। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से विद्युत अधिनियम 2003 में बताई गई है। इस अनुसार अध्यक्ष पद रिक्त होने के छह महीने पहले की प्रक्रिया शुरू होना जरूरी है। कानून के अनुसार उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के अधिकारी की तीन सदस्यीय समिति चयन करती है, लेकिन सरकार ने इन प्रावधानों को नहीं मानते हुए आनंद कुलकर्णी के अध्यक्ष पद का कार्यकाल पूरा होने के डेढ़ महीने के बाद अर्थात 23 फरवरी को चयन समिति की नियुक्ति की, जबकि अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले चयन की प्रक्रिया शुरू करने का कानूनी प्रावधान को बाजू में रख दिया गया। चयन समिति में मुख्य सचिव के बजाय अतिरिक्त मुख्य सचिव को शामिल किया गया। इसमें भी कानूनों को पालन नहीं हुआ। एक कनिष्ठ अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी की गुणवत्ता का मूल्यांकन कैसे कर सकता है?

 

प्रकाशित तारीख : 2021-02-27 10:03:00

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