वस्त्र किसी भी व्यक्ति के चरित्र का निर्धारण नहीं करते

भगवा, पीले और सफेद वस्त्र में भी रावण, कंस और कालनेमि मिल सकते हैं और साधारण से वस्त्र जैसे पैंट शर्ट जीन्स में भी एक महापुरुष और भगवदप्राप्त संत मिल सकता है।

वस्त्र या तन रँगने से कुछ नहीं होने वाला, मन और बुद्धि का रँगना, भगवा या उज्ज्वल होने का विशेष महत्व है। रँगे हुए वस्त्र तो प्रतीक मात्र हैं। होता यही है कि उसके पीछे के मूल भाव का लोप हो जाता है और रह जाता है "प्रतीक"! जब तक मन और बुद्धि का निवेश भगवान या सत्य में नहीं हो जाता तब तक बाह्य आवरण एकमात्र आडंबर ही कहलायेंगे।

भगवा, पीला, सफेद इत्यादि तो तप, भक्ति, सत्य, निर्गुण, सात्विक गुणों इत्यादि का प्रतीक मात्र हैं। पीला, भगवा या सफेद उज्ज्वल तो मन और बुद्धि को होना है, वस्त्रों को नहीं।

प्रकाशित तारीख : 2020-02-23 01:02:31

प्रतिकृया दिनुहोस्