क्या सारी जिम्मेदारी सरकार की है ?

क्या सारी जिम्मेदारी सरकार की है ?
क्या सारी जिम्मेदारी मोदी की है ?

और हम सभी लोग विकलांग और मूर्ख बनकर पड़े रहेंगे ?

क्या विपक्षी दलों की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि अपनी तरफ से सामने आकर लोगों को बोलें कि जो जहाँ है वह वहीं रहे और घर की तरफ न भागे क्योंकि सरकार और हम सब आपके लिए पूरा प्रबंध कर रहे हैं ?

क्या राहुल सोनिया को सिर्फ ट्वीट करना आता है ?

क्या मायावती जैसी गदहिया को यह नहीं चाहिए था कि एक बार सामने आकर अपने लोगों से बोले कि जो जहाँ है वह वहीं रहे ?

क्या रावण , कन्हैया, रविश , खबिश इन जैसे विषधरों को आगे आकर नहीं समझाना चाहिए था इन लोगों को ?

क्या वह टेढ़ी नाक वाले टोटी चोर को आगे नहीं आना चाहिए था लोगों को समझाने के लिए कि जो जहाँ है वह वहीं रहे ,हम लोग आपके लिए राशन पानी का प्रबंध करेंगे ?

क्या नीतीश को नहीं बोलना चाहिए था कि जो जहाँ है वह वहीं रहे ?

क्या तेजू यादव को नहीं बोलना चाहिए था आगे आकर कि तुम लोग वहीं रहो , जहाँ हो ?

अरे यह देश है कि क्या ?

ऐसे वक्त भी घृणित राजनीति चल रही है , ट्वीट war चल रहा है ।

शर्म है । धिक्कार है ऐसे राजनेताओं पर ।

ये क्या समय है राजनीति करने की ? जिस वक्त पूरा विश्व भीगी बिल्ली बना पड़ा है कोरोना को लेकर , उस वक़्त इस देश के घृणित लोगों के चुने हुए घृणित लोग राजनीति कर रहे हैं ।

क्या मीडिया चैनल को नहीं चाहिए था कि सबसे अपील कर सकारात्मक रूप से सबसे वहीं रहने को कहे ?

क्या हम लोगों को नहीं चाहिए था कि सबसे कहें कि जो जहाँ है वह वहीं रहे ? सरकार की आलोचना करने में हम यह भूल गए कि हम एक ऐसे तबके को भड़का रहे हैं जो पूरी तरह बुद्धि विहीन होते हैं । उनका जीवन मात्र भेड़चाल और अफवाह पर बीतता है ।

क्या जहाँ यह मजदूर काम कर रहे थे ,उन मालिकों को नहीं चाहिए था कि इन मज़दूरों को वहीं रोक कर इनको राशन पानी मुहैया करवाई जाए ?

अरे मैं भी एक Construction कंपनी चलाता हूँ , और मैंने अपने 15 मज़दूरों को बोला कि जो जहाँ है वह वहीं रहे और घर न जाये । उनके रहने की , राशन पानी की व्यवस्था भी मैं ही कर रहा हूँ और per day की salary भी दे रहा हूँ ।

ऐसी बातें या दान सम्बन्धी या परोपकार सम्बन्धी बातें मैं सोशल मीडिया पर कभी नहीं डालता या out नहीं करता लेकिन आज मजबूरन डालना पड़ रहा है ।

तो क्या वो Construction के मालिक मुझसे भी ज्यादा गए गुजरे हैं कि उन्होंने इतने sensitive समय में भी अपने मज़दूरों को ऐसे ही छोड़ दिया ? क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती थी ? क्या ये जो मजदूर जिनको आप गरीब और लाचार कह रहे हैं ,क्या इनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि जो जहाँ था वह वहीं रहता ?

इनके पास पैसे जेब में आते ही पहले ये दारू के ठेके पर जाते हैं और जब तक पैसे नहीं खत्म हो जाते तब तक पीते हैं । जब तक इनके पास पैसे हैं ये हफ्तों हफ्तों तक काम पर नहीं आते , पान मसाला तम्बाकू और दारू में सब पैसे अपने बर्बाद करते हैं और कैमेरे के सामने रोते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है रोटी खाने को । आपको बुरा लग रहा होगा लेकिन आज मैं यह कहूँगा कि ये रोने के लिए ही पैदा होते हैं। 

450 से 700 इनकी दिहाड़ी होती है । एक महीने का इनका बनता है 13000 से लेकर 21000 के आसपास ।

क्या आपको नहीं लगता कि यह इनके लिए काफी है ? इतना तो एक Telecaller भी नहीं कमाता । लेकिन आप इनको हमेशा रोते पायेंगे, इनके बच्चों को मजदूरी करते पाएंगे । जानते हैं क्यों ? क्योंकि इनका 80% पैसा एकमात्र दारू में जाता है । 

इनको भविष्य या बचाने की कोई फिक्र नहीं होती , शाम को जितना कमाया होता है वह सब दारू पीने में उड़ता है । 
और रोते ऐसे हैं मानो पूरे संसार का कण कण इन पर अत्याचार कर रहा हो । क्या इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं देश और समाज के प्रति ?

आज यह दृश्य देखकर मैं इतना परेशान हूँ कि बता नहीं सकता ।

इसलिए परेशान हूँ क्योंकि ये जितने भी आज आनंद विहार पर घूम रहे हैं वह सब कोरोना वायरस घूम रहे हैं । और यह देश के कोने कोने से लाखों लाखों की लाश उठवाएँगे ।

इस पर भी इन लीचड़ राजनीतिज्ञों की राजनीति नहीं छूट रही है । 
ये सरकार की नाकामी गिनवा रहे हैं । क्या इनकी देश के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती ??? 
.अगर सरकार से कहीं चूक होता भी है तो क्या इनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह इस समय उस चूक को सरकार के साथ सहयोग करके खत्म करने का प्रयास करें ???

मैं कह नहीं सकता कि क्या होने वाला है । 
यह समय सरकार की नाकामियों को गिनाने का नहीं बल्कि सरकार के साथ आकर अपने देश के साथ आकर कंधे से कंधा मिलाकर चलने का है ।

आज मुझे कहने से कोई गुरेज़ नहीं कि इस मामले में नरेंद्र मोदी अभागे हैं । 
हे मोदी जी, पता नहीं आपने क्या पाप किये थे जो आपको ऐसे विपक्षी , ऐसे मीडिया और ऐसी जनता मिली है ।

खैर यह आने वाले विनाश का संकेत है । जब इस देश के हर घर से लाशें उठेंगी ।

काहू न कोउ सुख दुख कर दाता ।
निज कृत कर्म भोग सब भ्राता ।।

जहाँ सुमति तँह संपति नाना ।
जहाँ कुमति तँह विपत्ति निधाना ।।

जाके विधिना दुख लिखि दीन्हा ।
ताकर मति पहिले हर लीन्हा ।।

धिक्कार है ।

प्रकाशित तारीख : 2020-03-29 09:58:09

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