महाराष्ट्र में कोरोना के भयंकर संकट के बीच राजनीति, निशाने पर राज्यपाल

महाराष्ट्र में कोरोना के भयंकर संकट के बीच राजनीति गरमा गई है। राज्य में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं लेकिन इस पर भी सियासत जोरों पर है। मामला राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा सूबे के अधिकारियों के साथ बैठक से शुरू हुआ। इस बैठक पर शिवसेना ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि इस तरह का समानांतर शासन भ्रम पैदा करेगा। दरअसल, राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्यपाल ने अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा हुई। इसे लेकर शिवसेना ने आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह का समानांतर शासन भ्रम की स्थिति पैदा करेगा। 

सामना में भी उठाया मुद्दा
पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में सत्ताधारी पक्ष ने कोरोना वायरस को युद्ध जैसी स्थिति बताते हुए कहा कि प्रशासन को निर्देश देने के लिए कमांड का एक केंद्र होना चाहिए। सामना में कहा गया कि केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री के पास निर्देश देने का अधिकार है। यहां तक कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में शिवसेना और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पीएम मोदी से कहा था कि वायरस से लड़ने के लिए उनके नेतृत्व में पूरा देश एकजुट है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने मुंबई से इस बैठक में भाग लिया था। मुखपत्र में कहा गया कि कोरोना वायरस स्थिति से निपटने के लिए ठाकरे की सराहना करते हुए, पवार ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को राज्यपाल की भूमिका (अधिकारियों के साथ बैठक में) के बारे में अवगत कराया।
 

प्रकाशित तारीख : 2020-04-10 18:54:13

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