बैसाखी 2020: किसानों की उदासी मिटे तो शुभ हो बैसाखी

बैसाखी सिर्फ मैसेज भेजने और पकवान बनाने का ही त्योहार नहीं है। यह किसानों की मेहनत के समृद्धि में बदलने का वक्त है। अगर यह नहीं हो पाता, तो उदास रह जाएगी बैसाखी। आज बैसाखी है। किसानों के लिए झूमने, नाचने और गाने का अवसर। नई फसल के साथ उनके घर-आंगन और दालान धन-धान्य से भर जाते हैं।

रबी की फसल के रूप में लक्ष्मी उनके घर आती है और वे झूम उठते हैं। यही अन्न जब मंडियों से होते हुए हमारी थाली तक पहुंचता है तो ही हम अपने जीवन के लिए ऊर्जा और ऊष्मा जुटा पाते हैं। पर इस बार ऐसा नहीं है। फसलें तैयार खड़ी हैं और खेत उदास हैं।

खेतों की यह उदासी किसानों के चेहरों पर उतर आई है, आगामी कुछ महीनों में यह हमारी थाली में उतरेगी और फिर हमारे जीवन की ऊष्मा और ऊर्जा में। अगर समय तत्काल तैयार फसल की कटाई और खरीद के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए तो यह संभावना सच भी हो सकती है। बड़ी बात नहीं कि जो लोग सोशल मीडिया पर क्वारंटीन में लजीज व्यंजनों की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं, उन्हें भी खाद्यान्न संकट से जूझना पड़े।

ढोल, भंगड़ा के अलावा कुछ और है बैसाखी 
बहुत सारी वेबसाइट ऐसी हैं जो बैसाखी पर आपकी आइसोलेशन को समझ पा रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग आपको किस कदर उदास कर रही है, इसका भी उन्हें इल्म है। और दिनों में सोमवार को बैसाखी आती तो यह आपके लिए चार छुट्टियों का इंतजाम हो जाती।

शनिवार, रविवार के साथ ही सोमवार को बैसाखी और मंगलवार को अंबेडकर जयंती। निश्चित ही आप घर जाने के लिए बैग पैक कर लेते। पर इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा कि आप कोविड 19 लॉकडाउन के चलते क्वारंटीन में हैं।

प्रकाशित तारीख : 2020-04-13 20:56:16

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