कोरोना वायरस के बाद चीन के हाथों क्यों आता दिख रहा दुनिया का नेतृत्व?

स्पेन कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है. उसे मेडिकल संसाधनों और उपकरणों की सख़्त ज़रूरत है. ख़ास तौर से स्पेन के उन इलाक़ों में जहां पर कोविड-19 के संक्रमण के मामले सबसे ज़्यादा सामने आए हैं.

लेकिन, स्पेन की ये ज़रूरी मेडिकल संसाधन जुटाने की कोशिश में आड़े आ गई तुर्की की सरकार से उसकी तनातनी. इसका नतीजा ये हुआ कि स्पेन के तीन हेल्थ ट्रस्ट ने सैकड़ों वेंटिलेटर्स की जो खेप ख़रीदी थी, उनसे लदे हुए जहाज़ों को तुर्की की सरकार ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया. स्पेन के मीडिया ने अपनी सरकार के हवाले से तुर्की की इस करतूत को 'चोरी' क़रार दिया.

लगभग एक हफ़्ते की खींचतान के बाद आख़िरकार स्पेन, अपने मेडिकल उपकरणों से लदे जहाज़, तुर्की के शिकंजे से छुड़ाने में सफल रहा. लेकिन, ये घटना इस बात की एक और मिसाल है कि किस तरह कोरोना वायरस दुनिया के तमाम हिस्सों में कूटनीतिक तनाव को जन्म दे रहा है.

कोरोना वायरस से किन देशों के बीच बढ़ रही तनातनी?

ये सच है कि कोरोना वायरस को लेकर अमरीका और चीन के बीच कूटनीतिक बयानबाज़ी को दुनिया भर में ज़्यादा तवज्जो दी जा रही है. ख़ासतौर से जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप लगाया कि वो चीन के इशारे पर चल रहा है और अमरीका अब विश्व स्वास्थ्य संगठन को दिया जाने वाला फंड रोकने पर विचार कर रहा है.

प्रकाशित तारीख : 2020-04-13 21:13:04

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