पूर्वोत्तर में क्यों हो रहा है परिसीमन का विरोध

देश में परिसीमन की कवायद सबसे पहले 1950-51 में हुई थी. तब चुनाव आयोग की सहायता से ऐसा किया गया था. लेकिन 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम बनने के बाद 1952, 1963, 1973 और 2002 में गठित परिसीमन आयोगों के जरिए यह कवायद की गई. 1981 और 1991 की जनगणना के बाद परिसीमन का काम नहीं किया गया था. इसकी वजह तमाम राज्यों में आबादी और लोकसभा सीटों का अनुपात लगभग समान होना था. अधिनियम में इसका प्रावधान है. लेकिन इसका एक मतलब यह भी हुआ कि आबादी नियंत्रण पर ध्यान नहीं देने वाले राज्यों में लोकसभा की सीटें बढ़ने की संभावना थी.

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